कविता ..
कितना सोना तुझे ,रब ने बनाया ,जी करे देखता रहूँ ।
कितना सुदंर रंगो से तुझे सजाया ,जी ही नही भरे ।।
तुझे देख कर हर कोई ललचाये ,तुझे वाह वाह ही कहे ।
तेरी छटा कितनी सुहानी ,आँखें सदा देखती ही रहे ।।
तेरे रुप ने सब का दिल मोहा ,एकटक देखता ही रहे ।
कुदरत का अनमोल तू खजाना , कभी कभी ही दिखें ।।
सप्त रंगो की अनमोल छटा ,हर कोई दाँतो तले अंगुली दबाये ।
तुझे अनमोल इन्द्रधनुष कहे ,देख कर दिल बाग बाग हो जाये ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।