दो अनजाने लोग विवाह कर
एक नीड़ बनाते हैं
फिर उसे अपने प्रेम,समर्पण
त्याग और सपनों से सजाते हैं
छोटी - छोटी बातों में एक दूजे का
कुछ इस तरह रखते हैं ख्याल
कि लोगों को एक दूसरे की
जान नजर आते हैं
पर ज्यों - ज्यों समय गुजरता है
नये - नये प्रेम का रंग उतरता है
दोनों अपने ही रंग में आने लगते हैं
बात - बात में उनके
अहम टकराने लगते हैं
मामूली बातों को ,
सरेआम बोलने लगते हैं
जहर बुझे शब्दों से
ह्रदय छीलने लगते हैं
बिना समझे शब्दों का परिणाम
मन की भड़ास निकालने लगते हैं
दरअसल होती नहीं वो
एक - दूसरे के लिए
वो होती हैं सिर्फ परिस्थिति जन्य
जो दोनों अपने ऊपर ले लेते हैं
बिना जाने एक- दूजे की समस्या
बस नीड़ तोड़ने लगते हैं
छोटी - छोटी बातें मन को
कुछ इस तरह लगा लेते हैं
तिनके- तिनके जोड़ा घोंसला
दो पल में तोड़ देते हैं।।।।
-Sakhi