उसने फिर से याद किया न जाने क्यों?
कई यादें कई किस्से ओठों पर आकर रुक गई थी
जब उसने आवाज दिया फिर लौट आई में न जाने क्यों?
ना रास्ते कि पता न मंजिल कि ठिकाना
फिर भी चली जा रही थी न जाने क्यों
जानती थी अंजाम इस रास्ते की!
कभी सहम सी जाती, कभी ठहर सी जाति,
एक पल के लिए फिर बिना सोचे चली जा रही थी न जाने क्यों?
उस रास्ते पर बैठकर आंखें बिछाई रहती!
कभी इस आश में आह भर्ती!
कभी खुद को समझाती न जाने क्यों?
हर रोज एक खत लिखा करती!
यह जानते हुए कि कोई पैगाम नहीं आएगी
फिर भी इसी आश में रहा करती न जाने क्यों?
यह रास्ते कट चुकी थी मेरे रास्ते से!
फिर भी कभी रास्ते को जोड़ा करती ना जाने क्यों
उसने फिर से याद किया न जाने क्यों?
Maya