आज का सुविचार ब्रह्मदत्त
""आज का सुविचार सत्य वचन ब्रह्मदत्त"
""KARAM YUG MEIN DOOB JA PRANI"
YOG KARAM BALWAN BRHAMDUTTA""
चिंता बड़ी या चिंतन ? मन बड़ा या मंथन ?
कर्म योग में डूब जा प्राणी प्राणी, ना होगी फिर कोई भी अनबन.... चित्र की आकृति तो नजर आ जाती
है पर चरित्र की आकृति कभी दिखाई नहीं देती, लेकिन जब चरित्र अपनी सीमाओं के अंदर दिखता है
तो वह सर्वश्रेष्ठ होता है.. चरित्र गिरा तो सब खत्म... चरित्र पास बलवान अच्छे-अच्छे उसका करते
शब्दों में व्याख्यान....
बेबुलन्द बातों पर कभी न करना ध्यान, बातें कर्म की योग नहीं, योग कर्म बलवान....
!! ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़!!
आज की प्रस्तुति ब्रह्मदत्त
मन मे जो है साफ साफ कहे देना चाहिए,
क्योकि सच बोलने से फैसले होते हैं और
झुठ बोलने से फासले होते हैं।।
बहुत शानदार लाइन-
तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है..
कहीं अपनापन तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है...
सुना है तू हर ज़र्रे में है रहता,
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है...
जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं,
फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है..
तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर,
फिर कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर
क्यों है...