__तुम सिर्फ मेरी ही हो__
ये नहीं है कि जुड़वाँ
भावनाओं में बह गया l
देखकर चेहरा तेरा
तुझे अपना कह गया ll
ये संयोग नियति
है भाग्य मिलन का लेखा l
देखो कहीं मिल रही
तेरे मेरे हाथों की रेखा ll
फिर मझधार में
बीच अधर कैसे छोड़ दूँ l
फिर तूँ ही बता
तुझसे मुँह कैसे मोड़ लूँ ll
जान लेना अन्तर्मन
वही जो दिल ने कही हो l
मैं ही मैं हूँ तुझमें बसा
क्योंकि तुम सिर्फ मेरी ही हो ll
❤️🌹❤️
हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ ©