कितनी अजीब है, ये जीवंत प्रकृति।
ख़ुशनुमा है,
ये मौसम।
जी भरके जिले,
इस जीवंत सृस्टि के साथ।
बस अपने नजरिए की, तो है बात, जीने के लिए।
जिंदा है हम ओर आप,बस ये जीवंत प्रकृति के साथ,
समजने की तो है बात।
फिर अवसर मिले ना मिले।
इस जीवंत प्रकृति के साथ,
इतने खुस रहो की गम की तो कोई बात ही नहीँ।
कुछ मील ना मिले, हम तो परिंदो की तरह आसमान में उड़ेंगे,
ये जीवंत प्रकृति के साथ।
✍️माही