*रात भर की मुँह की लार स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, इसलिए सुबह उठते ही थोड़ा गुनगुना पानी पिए - यह कहना है आयुर्वेद का*
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*रात भर मुँह में कीटाणु इकट्ठे होते है - यह कहना है कोलगेट का*
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*जिस दिन कोलगेट का ये विज्ञापन देखा था उसी दिन छोड़ दिया था और आयुर्वेदिक " पेस्ट" ले आया था और कभी कभी नीम बबलू का दातुन भी कर लेता हूं*
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*बात इतनी सी नहीं हैं और भी बहुत कुछ है जो हमारे दिमाग में धीरे-धीरे बिठा दिया गया*
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*1. योग, प्राणायाम को #जिम में बदल गए यही विदेशी*
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*2. हम काढा पीते थे उसको #चाय में बदल दिया इन्हीं विदेशियों ने*
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*3. हम गुड़ का प्रयोग करते थे उसको नुकसान दायक #चीनी में बदला विदेशियों ने*
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*4. प्राकृतिक सैंधा, काला नमक का प्रयोग करते थे उसको रिफ़ायन्ड #नमक में बदला विदेशियों ने*
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*5. मिट्टी, पीतल के बर्तन प्रयोग करते थे उसको #एल्युमीनियम में बदल दिया इन्हीं विदेशियों ने*
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*6. तिल, नारियल, सरसों के तेल, मक्खन को बदल दिया गया जहरीली #रिफ़ाइंड तैल में*
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*7. परम्परागत जैविक खेती को बदल दिया जहरीले #रसायन वाली खेती में*
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*8. सभी गुरुकुल में बच्चियों का पहनावा सनातन परम्परा के अनुसार होता था उसको #मिनी_स्कर्ट में बदल दिया इन्हीं विदेशियों ने*
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*वो हमारे दिमाग से खेलते रहे और हम उन्हें आधुनिकता के नाम पर मौका देते रहे, परिणाम ये हुआ कि दीर्घायु और निरोगी रहने वाले हम भारतवर्ष के लोगों की औसत आयु 65 वर्ष रह गयी है और लगभग व्यक्ति मोटापा, रक्तचाप, डिप्रेसन, केंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से घिरा हुआ है...*
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*आयुर्वेद के अनुसार चाय, चीनी, रिफ़ाइंड नमक, एल्युमीनियम, रिफ़ाइंड तेल, रासायनिक विधि से पैदा किए हुए अनाज, फ़ल, सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक हैं...*
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*योग, प्राणायम के साथ-साथ खान-पान में बदलाव करके ही हम जीवन को स्वस्थ बना सकते हैं...*
*एक कदम सनातन संस्कृति की ओर*