फिर से रात होने को है।
यूँही रात बीत जाती है ।
ओर सुबह हो जाती है।
दिन न जाने कब खत्म हो जाता है यूँही घर के काम मे ,फिर चलता रेहता है ये सिलसिला काम का और थक के चूर होजाने का बस यही लगता है की दिन कब खत्म होगा और।
फिर से रात होने को है।
यूँही रात बीत जाती है।
ओर सुबह हो जाती है।