** कविता **
# विषय .फुर्सत नहीं ..
फालतु बातों से ,मुझें फुर्सत नहीं ।
दुसरों की बुराई ,करने से फुर्सत नहीं ।।
अपने मुँह मियाँ मीठु बनने ,से फुर्सत नहीं ।
दुसरों को चैन से नहीं बैठने देने ,की फुर्सत नहीं ।।
दूसरों के धरों में झांकने ,की फुर्सत नहीं ।
परोपकार करने ,की मुझें फुर्सत नहीं ।।
मानवता निभाने ,की मुझें फुर्सत नहीं ।
दुसरों के दिलों में ,बसने की फुर्सत नहीं ।।
ईश्वर भजन ,करने की फुर्सत नहीं ।
अपने आप को ,परखने की फुर्सत नहीं ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।