# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .टेढ़ा - मेढ़ा "
# कविता ***
स्वभाव से भले ,टेढ़ा मेढ़ा हूँ ।
पर दुसरों की परवाह ,हर पल करता हूँ ।।
बोलना मुझें ,आता नहीं ,
पर मीठी बोली से ,मन हर लेता हूँ ।
ज्यादा पढ़ा ,लिखा नहीं हूँ ।।
पर परोपकार से ,दिल खुश कर देता हूँ ।
साधारण सा ,कवि हूँ ।।
पर दूसरों के ,दिलों में बसता हूँ ।
सजना धजना ,आता नहीं पर ।।
लेखनी से सबके ,दिल सजाता हूँ ।
मित्रों से ज्यादा ,मिलता नहीं हूँ ।
पर मित्रों को ,कभी नहीं भुलता हूँ ।।
स्वभाव से भले ,टेढ़ा मेढ़ा हूँ ।
पर काम सबके ,पल में आता हूँ ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।