कुछ अधूरी ख्वाहिसे ;
कुछ सँजोये हुए यादो के लम्हें :
के दरमियां ही तो जिंदगी बसी है।
जिंदगी चलती है ख्वाहिशो के पीछे ;
और यादे छूटती है जिंदगी के पीछे ।
और इसी बीच हम जी लेते है :
जिंदगी के कुछ लम्हो को ।
अगर सब कुछ मिल जायेगा :
तो ख्वाईश किसकी करेंगे !!!
इन अधूरी ख़्वाहीशो से ही :
तो जिंदगी मुकमल है ।
Dr.Divya