कविता ..
मन की लिखूँ तो ,
शब्द रुठ जाते है ।
और सच लिखूँ तो ,
अपने रुठ जाते है ।।
दिल की लिखूँ तो ,
आंसू रुठ जाते है ।
झुठ लिखूँ तो ,
सत्य रुठ जाते है ।।
हकीकत लिखूँ तो ,
रोष आंसू बहाते है ।
असत्य लिखूँ तो ,
पढ़ने वाले रुठ जाते है ।।
जीवन की डगर पर ,
ऐसा ही होता है यारों ।
अपनों को मनाओ तो ,
पराये छुट जाते है ।।
बृजमोहन रणा ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।