कहने को तो सब है यहा
बस एक तेरी कमी सी खलती है ।
ये भरी हुई महफ़िल तेरे बिना खाली सी लगती है ।
ना तूम आये नाही तुम्हारा कोई पैगाम ।
तुमको देखनी की आरजू में खुदको यू सजाये बैठे
है ।
निगाहों में तुम्हारी तस्वीर है और होठो पे तुम्हारा नाम।
लब्ज अब थक चुके है ले ले के तुम्हारा
नाम ।
dr.divya