ये क्या कर लिया......ये क्या कर लिया तुमने सुशांत! गर्मी भरी दोपहर में अपने कमरे में एसी की ठंडक में आराम से बैठे हुए मोबाइल पर अचानक तुम्हारी आत्महत्या की खबर देखी| सहसा विश्वास ही नही हुआ| दिल और दिमाग दोनों ने यही कहा “फर्जी खबर है”| लेकिन कुछ ही देर में न्यूज़ चैनल्स पर इस खबर की तस्दीक हो गयी कि तुम चले गए| सब कुछ टीवी पर देखते सुनते हुए भी यकीन नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कि ये सब किसी पटकथा का हिस्सा हो और तुम अपने चरित्र को जी रहे हो| आखिर तुम्हारी उम्र ही क्या थी| अभी-अभी तो तुमने भारतीय सिनेमा के माध्यम से करोड़ो लोगों के दिलों में अपनी जगह बनायीं थी| सभी को ये विश्वास था की तुम भारतीय सिनेमा के शिखर पर पहुँचने की योग्यता रखते हो| बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्र जो अपने विषय क्षेत्र में उपलब्ध असीम संभावनाओं को छोड़कर एक नयी और अनजान दिशा का चयन करता है, वह इतना कमज़ोर तो नही हो सकता| अपने घर में मौजूद टेलेस्कोप से चाँद-तारे देखने वाला और यहाँ तक की चाँद पर जमीन खरीदने वाला व्यक्ति यूँ ज़िन्दगी से हताश कैसे हो सकता है| तुमने सिर्फ अपनी योग्यता और मेहनत के दम पर बिना किसी फ़िल्मी प्रष्ठभूमि के अपना एक अलग मुकाम बना लिया ये काबिले तारीफ है| लेकिन मेरे दोस्त ये फैसला करके तुमने अपने चाहने वालों को बहुत मायूस कर दिया| ज़रा सोंचों जो नौजवान तुम्हे अपना आदर्श मानते हैं, छोटे शहरों में रहने वाले जो बड़े-बड़े सपने देखते हैं, वो तुम्हारे इस अंजाम से अपना हौसला खो बैठेंगे|
समाचारों में पता चला कि तुम भारतीय सिनेमा में व्याप्त भाई-भतीजावाद के काफी लम्बे समय से शिकार हो रहे थे| कुछ बड़े प्रतिष्ठित निर्माता/निर्देशक/अभिनेता जो मिलकर एक गैंग की तरह भारतीय सिनेमा को संचालित करते हैं, उन्हें तुम्हारे इस सिफ़र से शिखर तक की यात्रा से इर्ष्या थी| एक तरह से तुम्हारा अघोषित बायकाट कर दिया गया था| कुछ विडियो क्लिप्स आज कल वायरल हो रही है, जिन्हें देखकर अब ऐसा एहसास होता है कि तुम किन परिस्थितिओं में हमारा मनोरंजन कर रहे थे| यकीन मानों अब ऐसा लग रहा है जैसे की तुम्हारे इस कदम के लिए हम सब भी जिम्मेदार हैं| आखिर भारतीय सिनेमा के उन स्वघोषित बाहुबलियों को हमने ही तो इतना बड़ा बना दिया कि उन्हें सब अपने से छोटे नज़र आने लगें| तुम विश्वास रखो जिन्होंने तुम्हारे साथ गलत किया है भगवान उन्हें कभी माफ़ नही करेगा| और रही बात हम लोगों की, तो देख लेना, जैसे इन्होने तुम्हारा बायकाट किया था, आज से हम सब इन लोगों का बायकाट करते हैं|
यूँ तो मृत्यु कभी सही नही होती, लेकिन शायद तुम्हारी मृत्यु से उन करोंड़ों नौजवानों की आँखें खुल जाएँ जो तुम्हारे गुनहगारों को सितारा मानते हैं, अपना आदर्श मानते हैं|
जहाँ भी रहो....खुश रहो....मेरे दोस्त!