सज रही है आज धरा बारिश के बूंदों से कुछ ऐसे ।
जैसे शोल शनगार सजी दुल्हन सामने आई हो आज जैसे ।
कुसुम्बल रंग सी महक रही आज वो।
पंछी के सुर में चहक रही आज वो ।
फूलो सी खिल उठि है आज वो ।
हवा में खुशबू सी उड़ रही है वो ।
मिलन हुआ है आज उसका बारिश से कुछ ऐसे
जैसे क्षतिज पे सूरज का नदी से और रात में चकोर का चाँदनी से ।
DR.DIVYA