गलतफहमी:एक रोमांटिक प्रेमकथा
लेखक:कुमार किशन कीर्ति
"मेरी बात तो सुनो अल्पना, लगता है तुम्हें कोई गलतफहमी हो गई है"कन्हैया यह कहते हुए अल्पना के पीछे-पीछे भागा जा रहा था और अल्पना क्रोध में तेज कदमों से अपने घर की तरफ जा रही थी,जैसे ही अल्पना का घर आया वह पीछे मुड़कर कन्हैया से बोली"मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है और मुझे मालूम हो गया है की तुम मुझसे प्यार नहीं करते हो"इतना कहकर वह जल्दी से अपने घर में प्रवेश कर गई और दरवाजा को बंद कर दी
कन्हैया बेचारा वही चुपचाप थोड़ी देर तक खड़ा रहा और फिर वापस चला गया
फिर अगली सुबह अल्पना अपने द्वार पर बैठी थी बेचारी उदास दिखाई दे रही थी तभी उसके मोहल्ले का छोटू नामक एक लड़का आया और बोला"अल्पना दीदी,यह चिट्ठी लो"अल्पना छोटू के हाथ से चिट्ठी ले ली और इसके पहले वह छोटू से कुछ पूछती छोटू वहाँ से दौड़कर चला गया
'कौन चिट्ठी भेज सकता है?'यह सोचती हुई अल्पना चिट्ठी को जैसे ही लिफाफा से निकाली और उसे पढ़ना शुरू की तो पढ़ती रह गई उसमे लिखा गया था
"प्रिये अल्पना,
मैं जानता हूँ तुम्हें गलतफहमी हुई है और मैं यह भी जानता हूँ की तुम मुझसे सच्चे दिल से मोहब्बत करती हो,तो फिर यह नाराजगी क्यों?मैं भले ही बात अन्य लड़कियों से करता हूँ, लेकिन प्यार तुमसे ही करता हूँ, प्लीज मान जाओ और हा, जब तुम यह चिट्टी पढ़कर अपनी निगाहे उठाओगी,तब सामने मैं ही मुस्कुराता हुआ दिखाई दूँगा
तुम्हारा कन्हैया"
और सचमुच जैसे ही अल्पना उस चिट्टी को पढ़कर निगाहों को उठाई तो सामने थोड़ी दूरी पर कन्हैया हाथ मे लाल गुलाब लेकर खड़ा था और मुस्कुरा रहा था यह देखकर अल्पना की आँखों में आसूँ आ गए और वह दौड़कर जाकर कन्हैया से बोली"मुझे माफ कर दो मुझे सचमुच गलतफहमी हो गई थी"अल्पना की बात सुनकर कन्हैया बोला"मैं केवल तुमसे ही प्यार करता हूँ, समझी मेरी प्यारी अल्पना"इतना कहकर उसने बड़े ही प्यार से वह लाल गुलाब अल्पना को दे दिया
:कुमार किशन कीर्ति
-- Kumar Kishan Kirti
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