सुकून..!!
ओ मधु , कौशल्या भाभी कहां हैं? हीरामनी बुआ ने पूछा।
पता नहीं ,यहीं कहीं होगीं
मैं ने भी बहुत देर से उन्हें नहीं देखा, मैंने कहा।
फिर मैंने सबसे पूछना शुरू किया कि मां को किसी ने देखा, तो किसी को नहीं पता कि मां कहां हैं।
सबने ढूंढना शुरू किया, दोनों भाभियां और दोनों भाइयों ने भी ढूंढा, लेकिन मां कहीं भी ना मिली,सब परेशान आखिर मां कहां गई, और वो भी ऐसे हालात में।
फिर छोटी बुआ आ गई, उन्होंने भी पूछा, कौशल्या भाभी कहां हैं?
सारे रिश्तेदारों ने ढूंढ लिया लेकिन मां का कहीं कुछ पता नहीं।
बड़ी बुआ गुस्से से चिल्लाई, पता नहीं कहां हैं कौशल्या भाभी, ऐसा कोई करता है भला।
बाहर पति की अर्थी रखी है, और उनका कुछ पता नहीं।
तभी मेरी पांच साल की भतीजी ने आकर बताया कि दादी तो स्टोर रूम में सो रही हैं।
बुआ बहुत गुस्सा हुई, ऐसे में कोई सोता है ,भला।
हम सबने स्टोर रूम में जाकर देखा तो, मां किसी छोटे बच्चे की तरह चटाई पे सो रही थीं, बुआ उन्हें जगाने वाली थी तो मैंने रोक लिया।
मैंने कहा बुआ सोने दीजिए मां को__
जबसे ब्याह के आई, शायद कभी वो चैन से सो पाई, पहले सास-ससुर का किया, फिर दो देवरों और दो ननदों का किया दादा जी को कैंसर हो गया तो उनकी तीन सालों तक सेवा की, फिर दादी की कमर की हड्डी टूट गई तो उनकी पांच सालों तक सेवा की फिर हम भाई-बहन को संभाला , दोनों भाभियां नौकरी वाली मिली तो घर और उनके बच्चों को सम्भाला, फिर अभी सात सालों से पापा paralyzed होकर बिस्तर में है तो वो ही तो उनकी सेवा कर रही है, वो भी ऐसे इंसान की जिन्होंने उनकी इज्जत कभी नहीं की।
इतने सालों बाद आज सोई है, सोने दीजिए, आज मिला है उन्हें सुकून।।
सरोज वर्मा____