नसीब का लिखा ही सच होता है इसलिए
नसीब से लड़ना छोड़ दिया,
हक मांगने से मिलता नहीं इसलिए
हक मांगना ही छोड़ दिया,
तुने नफरत जो पाल लिया इसलिए
प्यार करना ही छोड़ दिया।
सारा खेल ही नसीबों का है, इसलिए
सब नसीब पर ही छोड़ दिया।
देख अपने जुर्म का कहर,
मैंने तो अब सांस लेना ही छोड़ दिया।।