#न्याय
हंस चुगेगा दाना,
कौवा मोती खायेगा।

कभी तुलसी का पत्ता जीतता पैसो से,
कभी तुलसी का पत्ता हारा पैसो से।

कभी प्राण जाए पर वचन न जाये,
कभी वचन जाये पर प्राण न जाये

क्यों आंखों पे पट्टी बांधे बैठी है ?
क्यों न्याय की देवी रूठी है?

ऊपर से आकाशवाणी होती है,
कलयुग से पहचान कराती है
महेक परवानी

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111438253

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