#न्याय
हंस चुगेगा दाना,
कौवा मोती खायेगा।
कभी तुलसी का पत्ता जीतता पैसो से,
कभी तुलसी का पत्ता हारा पैसो से।
कभी प्राण जाए पर वचन न जाये,
कभी वचन जाये पर प्राण न जाये
क्यों आंखों पे पट्टी बांधे बैठी है ?
क्यों न्याय की देवी रूठी है?
ऊपर से आकाशवाणी होती है,
कलयुग से पहचान कराती है
महेक परवानी