जो निश्वार्थ प्रेम और करुणा की खान ,
जिसके सिर पे अपार कस्ट फिर भी बच्चों से प्यार।
सबसे धिक्कार खाये बच्चो को भी जो देती है प्यार।
जिनके चरणों मे सारे लोको का स्वर्गो की भरमार।
पूरे परिवार के कस्टो को सहके भी न कहे किसी से एकबार।
सबकी खुसी के लिए करदे अपनी जिंदगी निशार।
अपने कपूतों को भी अपनी जान से ज्यादा करे प्यार।
सपूतो को भी देवे खुसिया अपार।
ओ मेरी माँ है जिसके आँचल में दुनिया की खुसी मीले बारम्बार।
माँ के पनाह में सब दुख सुख से भी ज्यादा खुसी के समान।
मां तो माँ है जिसका दिल बच्चो पे ही निशार।
ओ माँ मेरी प्यारी माँ
आपकी दी जिंदगी आप के खुशियो के लिए निशार बार बार।।
💝~दुर्गेश तिवारी~