Hindi Quote in Religious by ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

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आज मंगलवार से शुरू है एक श्रृंखला जो बजरंगबली हनुमान जी
के संपूर्ण कार्य को दर्शएगी श्रृंखला के तहतआज की प्रथम प्रस्तुति
है सुंदरकांड-- ब्रह्मदत्त त्यागी
सुंदर काण्ड
आज मंगलवार से हम एक श्रृंखला शुरू कर रहे हैं जो हनुमान जी के सभी कार्यों से आपको परिचित कराएगी
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ का ऐसा मानना है... और आज की श्रृंखला का पहला अध्याय हैं सुंदरकांड का यह
संदर अध्याय जिसका आगे का विश्लेषण अगले मंगलवार को किया जाएगा ब्रह्मदत्त त्यागी

---सुन्दर कांड.--

जब जाम्बवान ने हनुमान जी को समुद्र लांघने के लिये प्रेरित किया।
तब हनुमान जी दृढ़ प्रतिज्ञ होकर सीता जी का पता लगाने के लिये तैयार हो गये. उस समय उनमें तेज, बल और पराक्रम तीनों का ही प्रवाह हुआ. हनुमान जी ने वानराको भरोसा दिलाया की वह लंका में जा कर सीता को खोजेंगे यदि वह वहाँ नहीं मिली तो
उनको खोजने सवार भी जायेंगे यदि वह वहाँ नहीं मिली तो उनको।
खोजने पाताल भी जायेंगे यदि वह वहाँ भी नहीं मिली तो वह रावण सहित लंका पूरी को ही उखाड़ लायेंगे.
ऐसा कहकर वेगशाली वानर प्रवर श्री हनुमान जी ने विघ्न बाधाओं का कोई विचार न करके बड़े वेग से ऊपर की ओर छलांग
मारी. जिस समय वह कूदे उस समय उनके वेग से आकृष्ट हो कर
पर्वत पर उगे हुए सब वृक्ष उखड़ गये और अपनी सारी डालियों
को समेट कर उनके साथ ही सब तरफ से वेग पूर्वक उड़ चले.
हनुमान जी पर्वतों के समान ऊंची महा सागर के तरंग मालाओं को
अपनी छाती से चूर-चूर कटे हुए आगे बढ़ रहे थे. उनके गर्जन से
समुद्र में हल चल मच रही थी. वे परम तेजस्वी महाकाय हनुमान
आकाश में पंख थारी पर्वत के समान जान पड़ते थे. हनुमान जी
की दस योजन चौड़ी और तीस योजनलम्बी छाया समुद्र पर पड़
रही थी. समुद्र, जिसे इक्ष्वाकु राजा सागर ने बढाया था, उसे अपने
कर्तव्य का बोध हुआ, उसने सोचा हनुमान जी इक्ष्वाकु वंशी वीर
राम जी की सहायता करने की लिये जा रहे है, अतः इन्हें इस यात्रा
.. में कोई कष्ट नहीं होनी चाहिये. ऐसा सोच कर उन्होंने समुद्र में छीपे गिरी श्रेष्ठ मैनाक से कहा-इंद्र तुम्हें पाताल वासी असुर समूहों के निकलने के मार्ग को रोकने के लिए परिधरुप से स्थापित किया है. तुम में ऊपर नीचे आगे पीछे सब और बदने की शक्ति इसलिये मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ की तुम ऊपर उठ जाओ और
श्री राम जी का कार्य सिद्ध करने जा रहे हनुमान जी को अपने ऊपर श्री रामदूतं हनुमान जी को।।।
विश्राम करने का समय दो. ये राम के सेवक है और मेरे पूज्नीय है । इस सप्ताह का क्रमश: अगले मंगलवार को
आप से फिर भेंट होगी, और इससे आगे की कहानी आपको सुनाई जायेगी--ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

Hindi Religious by ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ : 111397482
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