"मुलाकात" जिसमे पहला स्पर्श की मुलाकात जो संसार मे जन्म लेने पर होती है सबसे पहले "माँ" से उसे हम पहली मुलाकात कहते है इसके बाद पिता से मुलाकात फिर अपने बड़े भाई बहनों से बाद में जिस जिस की गोद मे प्यार से उठाये दुलारे पुचकारे जाते है उसमें सभी आ जाते है ।
इसके बाद जब तीन साल के लगभग होते है तो अपने ही उम्र के नन्हे नन्हे दोस्तो से दूसरी मुलाकात होना शुरू होती है जो लगभग रोज ही होती है उन मुलाकातों को देख देखकर माँ-पिता अंदाज लगाते है कि बालक या बालिका फुर्तीला है, या नही ।
फिर तीसरी मुलाकात प्रायमरी स्कूल के मित्रो से फिर हाई स्कूल के मित्रो से मुलाकाते प्रतिदिन की पढ़ाई लिखाई शरारतों में कब 15-16 वर्ष के कब हो जाते है ।
इसके बाद कालेज में पदार्पण होता है साथ ही यौवन भी अपने मे प्रवेश करने लगता है नई नई उमंगे नये सपने सामने बाले से आगे बढ़ने कुछ नया ही करने की होड़ दिल मे घर करती है । इस संसार मे चाहे वो लड़का हो या लड़की उसके जीवन मे एक पल आता ही है जब वो इन सब बातों से अलग चाहे स्कूल हो कालेज हो अपना मोहल्ला हो बाजू का हो लड़के को लड़की से या लड़की को लड़के से भावनात्मक प्रेम का आकर्षण की ज्वाला उतपन्न होती है यकायक ही पचास या सो लोगो मे वो ही अपने को सबसे अच्छा सुंदर लगने लगता है हर पल दिन हो या रात बस चौबीसों घण्टे वो ही दिखता है या दिखती है ये होती है अपनी चौथी मुलाकात जो बाद में होने के बाद भी तीनो मुलाकातों से अच्छी लगने लगती है इस मुलाकात के बाद प्रेम आकर्षण के मोहजाल में गिरप्त हो जाने के बाद लड़का हो या लड़की में कुछ और नये नये गुण पैदा होते है जैसे एकांतवासी होकर उसके खुआबो में खोए रहना,घर मे किसी के पूछने पर बहाने बनाना झूठ बोलना,विना किसी कार्य के घर से बाहर ही वैठे रहना,बार बार अपने आप को शीशे में देखना स्टाइलिश बने रहना इत्यादि, हा भाई ये चौथी प्यार की बहार कहा जाने पर उस समय लड़का या लड़की का एक जिगरी सहेली या जिगरी दोस्त तत्काल बन जाता है या बना लिया जाता है जो उसका चौबीसों घण्टे उसे प्रेम को आगे बढ़ाने के लिए या उसे और अन्य अच्छे बुरे परिणामो की सलाह देता रहता था , आज के समय मे सलाहकार की अहमियत ना के बराबर- मोवाइल आने, वीडियो चैट ,होने से लुप्त सी हो गयी है । हमारे जमाने मे प्रेम में लिप्त युवक युवती का प्रेम विना हम उम्र जिगरी सलाहकारों के विना चल ही नही पाता था कुछ ही दिनों में मोहल्ले की चाची या चाचा पापा के दोस्त की आंखों में आकर पकड़ जाते पिटाई उपरांत प्यार का बहुत रफूचक्कर हो जाता था । ये चौथी ना भूलने बाली मुलाकात ताउम्र सभी को धूमिल याद बनी रहती है । मित्रो चाहे ऐसे कोई उसको स्वीकार करे ना करे ।
कमलेश शर्मा"कमल" सीहोर मध्यप्रदेश 12-04-20
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