न तो है कोई अपना जगत में न ही कोई बेगाना
चिन्ता है किस बात की जब ले कुछ नही जाना
है तो ये माया नगरी, दुनिया जो जादू से भरी
मन का बोझ है फिर भी लादे हो ये भारी गठरी
मजबूत बनो खुद में और हवा के जैसे बहना
बंधन है बस एहसास का प्रेम से जुड़क रहना
सुख दुख तो चक्का हैं जिनसे कभी न घबराना
ज़िन्दगी ये एक ही मौका है इसे खुशी से बिताना
- आलोक शर्मा