कर श्रंगार प्रकति मतवारी हो गई,
कुहू कुहू टेरती,
कोयल फगुनारी हो गई।
खिले गुलाब और गेंदा, लदी है आम्र मंजरी,
बागन खिल रहे पुष्प,भ्रमर गण गाते कजरी।
जंगल हो रहे लाल, टेसू आग सा दहका ।
गोरी हो रहीं मत्त , साजन का दिल बहका।
आया #बसंत ऋतुराज, कंत प्यारी को मनावें।कर श्रँगार पुष्प वनमाला पिया को हर्षावैं।
शोभा गावैं गीत , प्यार का मौसम है ये।
मची धूम चहुँ ओर ब्रज में रंग उड़ें ये ।

Hindi Romance by Shobha Sharma : 111388747
Brijmohan Rana 4 year ago

बेहतरीन रचना ,शानदार सृजन ।

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