ये रंग तुम्हारे इश्क का कुछ ऐसा असर दिखाता है,
गालिब़ हर तरफ इक इन्द्रधनुष सा छा जाता है। नजरों की ताकाझांकी का मन्जर अजब सुहाता है,
गालिब़ दिल धड़कनों का मधुरम संगीत सुनाता हैं।
तपती धूप मे शीतल छुअन सी तेरी छाया मिलती है, तनमन हर्षित हो जाता है।
गालिब़ बिन मौसम के सावन अपना बन जाता है।
कुछ बादल के टुकड़े आकर रूक जाते हैं, झोंका जब तेरी खुशबू का आता है।
गालिब़ मेरे चाँद का दीदार हो जाता है।