मैंने अपनी अलग दुनिया बसाई है।
जिसमें ना तुम्हारे नाख़ुन की भी परछाईं है।
मैं कहुँ तब दिनरात चले। कभी तुम्हारी बात चले तो, नहीं तो ना चले।
तुम्हारे हुस्न की बात चले तब, मैरे फिक्र की बात चले।
मेरी दुनिया में मन की मर्जी है।
कोई भी हो ख्वाईंश,ना शर्त है, ना अर्जी है।
तुम्हारा मयखाना! चाबी तुम्हारे हाथ में है।
खो गई! कोई बात नही, मगर ताला किसके पास में है।
मेरे जहाँ में ना पुलिस की जरुरत है।
डाक्टर कहे, मेरी प्रक्टीस यहाँ करना व्यर्थ है।
मेरी दुनिया में बड़ो का सम्मान है।
हर किसीके शब्दों का उचित स्थान है।
कोई न रहता ऩाराज़ यहाँ। मेरी दुनिया है सबका जहाँ।
तेरे सिवा...