कदम कुछ बिखरने लगे है मेरे
उनके दिए घावो को समेटते समेटते ।
जिंदगी थकने लगी है मेरी
अब ये दर्द छुपाते छुपाते ।
काल वो वक़्त था और आज ये लम्हा है ।
वो कह रहे थे हमें छोडके मत जाना।
और आज ऐ लम्हा है ; जब हम यू तन्हा बैठे है ।
आंखों में नमी है और लब्जो में उनका ही नाम ।
नजरे बिछाई है रास्ते पे उनके ही इंतज़ार में ।
Dr.Divya