Gujarati Quote in Poem by Dr.Divya

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कदम कुछ बिखरने लगे है मेरे
उनके दिए घावो को समेटते समेटते ।

जिंदगी थकने लगी है मेरी
अब ये दर्द छुपाते छुपाते ।

काल वो वक़्त था और आज ये लम्हा है ।

वो कह रहे थे हमें छोडके मत जाना।

और आज ऐ लम्हा है ; जब हम यू तन्हा बैठे है ।

आंखों में नमी है और लब्जो में उनका ही नाम ।

नजरे बिछाई है रास्ते पे उनके ही इंतज़ार में ।
Dr.Divya

Gujarati Poem by Dr.Divya : 111359797
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