चल दिए हैं मैं ने चार कदम
तेरे पीछे में चलने लगा
तू ने मुड़ के जो देखा हमें
हमारी निगाहो का मिलना हुआ
और फिर मुहब्बत की दासता का सिलसिला शुरू हो गया
तुम भी तो केह दो
दिल में तुम्हारे
जो है जानेजा
हमने तो के दिया
जो था दिल में हमारे हा
तारीफ़ में तेरी क्या क्या लिखा है
बोलु गा नहीं वो हा
मगर जो कुछ भी लिखा है हा हमने अब तक
वो सब तुझ पे ही लिखा है हा
कलम जो पकडी़ है हाथ मे मैं ने
वजा उसकी तु है हा
तोफे में तुझको क्या क्या चाहिए
चल तु ही मुझे अब बता
अजीज है जो कलम मेरी
वो भी दे दुगा तुझको हा
तुम्हारे संग झिदगी बीता ने का खाब देखा है
मुकम्मल होने के बाद तो रहती नहीं है हा
मुहब्बत तो मुसल्सल रहती नहीं है हा
मतलब नहीं है बात में कुछ भी लिखा फिर क्यों हा
शायद लिखा है हमने ये सब मुहब्बत के नशे में हा
YashVardhan