शुभ शनिवार जय बजरंगबली हनुमान
जय बजरंगबली हनुमान हे
महावीर करो कल्याण ब्रह्मदत्त
दोहा : श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ: शरीर गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन
रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन
करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला
हे। ब्रह्मदत त्यागी हापुड़