सरल हूँ... कपट से दूर हूँ... स्वार्थ है , सिर्फ सब के दुख बाटने का ... ईसी लिए ... काम निकल जाने के बाद... या अपने मन की ना होने पर... लोग मूजसे दूर चले जाते है .... और में खुद को गुनहगार समज के अफसोस दुख महसूस करती हूँ... बस ऐसी ही हूँ ...में जैसी आपकी सोच हो वेसी समज लेना मूजे ...
ami patel