शुभ संध्या वंदन सुविचार ब्रह्मदत्त
कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो होते नहीं है और उनकी परिभाषा होती है
व्यक्ति या तो योगी बने या सहयोगी बने ब्रह्मदत्त
बुद्धि लोहा नहीं है लेकिन उसमें कभी-कभी जंग लग ही जाती है
उसी प्रकार आत्मसम्मान शरीर नहीं है लेकिन फिर भी कभी-कभी घायल हो जाता है....ब्रह्मदत्त