गुजर जाएगी
शाम ढल जाएगी रात भी गुजर जाएगी।
महीने बित जाएगा साल भी गुजर जाएगा।।
तेरा मिलना अब इतेफाक बनके रह जायेगा
यू तो रहती है बेरंग सी हवाये
न जाने कब उसमे रंग भरा जाएगा
तेरा मेरा मिलना नजाने अब कब हो पायेगा
करवटे तुमने भी बदली होगी? सोया में भी नही था
रोये होंगे तुमभी? किरण आंशू मेरे भी रुके नही थे