My New Poem ......!!!!!
यारों हमें समझना तुम्हारे
बस की बात है ही नही ...
सोच बुलंद करो अपनी या
फिर हमें सोचना छोड़ दो...
अल्फ़ाज़ो से एहसास बयान
तो शायद हो भी जाएँगे पर...
जैसे गम को समजने की लिए
भी ग़मगीन होना ज़रूरी है...
वैसे ही अल्फ़ाज़ को समजने के
लिए हालातों से गुजरना जरुरी है
एसे ही तो सफलताएँ भी हासिल
नही हो जातीं जनाब जीदगीं में
मुश्किल राहों से गुजरना पड़ता हैं..
न चाहते हूएँ भी लोहे के सख़्त चने
हंसते हंसते ही चबाने भी पड़ते है..
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