बेवक्त,बेवजह किसी से मुलाकात किया न करो ।
वक्त मिलते, कभी खुदसे भी मिलने जाया करो ।
यूहीं तो नहीं आते है, तुम्हारी निंदो में वो रोज।
अपने है, कभी तो उन सपनों को सजाया करो ।
वक्त था जब तुम्हारी धड़कनों में बसते थे वो ।
बैठ के अपनी सांसो का भी हिसाब लगाया करो ।
माना कि धुएं से ज्यादा कुछ नहीं है , ये जिंदगी,
उड़ा ने से पहले मगर थोड़ी सी जी लिया करो ।
दीवानगी को इस कदर किसी पे ज़ाया मत करो
दिल तो बच्चा है , हरबार उसे ये समझाया करो ।
Naresh Gajjar