My New Poem ...!!!
काँटों में घिरे फूल को
चूम आयेगी तितली
तितली के परों को
कभी छिलते नहीं देखा
किस तरह मेरी रूह हरी
कर गया आख़िर..!!
वो ज़हर जिसे जिस्म में
खिलते नहीं देखा..!!
परवाज़ ख़यालकी भी
है अजीब जनाब..!!
फ़ासला बरसो का पल में
तय कर आया पर कभी
ख़याल को उड़ते नहीं देखा।।