My New Poem ...!!!
खाने को गम
पीने को आँसू,
बिछाने को छाँहें,
ढकने को आँहें,
शायर की झोपडी में
किस चीज की कमी है
यह अलग बात है कि
बरसौ बीताए बैचारे
शायरने इतनी मुफ़लिसी
पानेमें जींदगीके कई पन्ने
उलट दिए यारकी चाहतमें
दिलकी उस एक आहटमें
जौ मरके भी अघूरी
ही रहेगी शायरीके दसतानोमें