*प्रतिभा उवाच*
भारत को मंदिर समझो लोगो.. और मानवता को धर्म..!!
सबकी माँ बहनों को आदर दो..
यही सदाचार का मर्म..!!
मंदिर , मस्जिद , चर्च गुरूद्वारा..आपस में कब लड़ते हैं.. !!
ईश्वर सबमें एक ही है..दुआ कहीं भी माँग के देख लो..!! हिंदू ,मुस्लिम सिख, ईसाई..सब भारत की संतान हैं..!!
लहू किसी का भी गिरे धरा पर..!!
आहत होती भारत माँ की जान है..!!
मर्म जरा ये समझो लोगो..सब मिलकर ही बना ये हिंदुस्तान है..!!
गर दम खम है.. तो लड़ो जरा तुम .. बेरोजगारी और मँहगाई से ..!!
आरक्षण ने योग्यता मारी..!!
मरीज मर रहा .. डॉक्टर की दवाई से..!!
शिक्षा के मंदिर में बिकती...मँहगी हुई पढ़ाई से..!!
मारो ऐसे नामर्दों को जो छीनें माँ-बहनों की शान को..!!
गर है हिम्मत तो संस्कृति संभालो ...
पिता-पुत्र के युद्ध बचालो..!!
बाप लूट रहा बेटी की इज्जत..!!
तलाक कर रहा ..
पवित्र बंधन की फजीहत..!!
अरे अपने ही घर को घर तो बना लो ...
धर्म के नाम पर लड़ने वालो ...!!
समझो हमारी बातों का मर्म...!!
भारत को मंदिर समझो.. और मानवता को धर्म ..!!
मानवता को धर्म..!!
लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी "मुस्कान"©
सागर मध्यप्रदेश ( 21 दिसंबर 2019 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏