सीता माई
सब से अलौकिक आई ,..।
मा के तनसे न तू आई ,धरती माँ से जाइ,
वैहदी के घर वैदेही पोंछी ,संस्कार सुनयना से पाई। ओ माई ..।
मंगलकारी मिथिला नगरी पूण्य प्रताप से पाई
शांत सौम्य ,सदाचारिणी तूम ,पतित पावन दाई ,ओ माई ...।
जीवन में ही दुख भारी पड़े , रावण संग लड आई
त्यागी , तपस्वीनी है भारती ,भारत की शन नारी ।ओ माँ ...
बड़भागी राम हुवे है ,संग है सीता माई,
पुरषोत्तम की प्रेम प्रतिज्ञा ,एक निष्ठा से निभाई..।ओ माई .।
अदभुत है ये शक्ति स्वरूपा, सबके मन मे छाई
भूमिजा के बेटी पावन ,अवनि के " ह्रदय" में समाई । ओ माई..।