यह कौन आया!
जो मौन रहना सिखा गया,
अपमानो पर गुंजती तलवरो के बदले
हाथो मे कैंडल थमा गया!
जो जनि देवी कहलाती हैं,
उस देवी संग दुश्कर्म हुआ,
काट दिया, जला दिया
कभी प्रियंका, कभी निर्भया
कभी छः साल कि बच्ची संग हुआ
यह कौन आया!
जो मौन रहना सिखा गया,
अपमानो पर गुंजती तलवरो के बदले
हाथो मे कैंडल थमा गया!
कभी मामा ने, कभी चाचा ने
कभी दोस्तो ने घात किया
हर रिश्ता तार तार हुआ
इंसान शर्मसार हुआ
यहा कृष्ण द्रोपदि मित्र गाथा थी
वहा दुध पिती बच्चियो को भी नौच दिया
माँ अपना आँचल कब तक सम्बाले
यहा पग पग दरिन्दो का वास हुआ
यह कौन आया!
जो मौन रहना सिखा गया,
अपमानो पर गुंजती तलवरो के बदले
हाथो मे कैंडल थमा गया!
यह भारत है वही भारत हैं
जहाँ नारी अपमान को महाभारत हुआ
यह भारत है वही भारत हैं
जहाँ नारी हरन को लंका दहन हुआ
यह भारतवर्ष कि संस्कृति थी
अपमनो पर तलवारे बोला करती थी
यह कौन आया!
जो मौन रहना सिखा गया,
अपमानो पर गुंजती तलवरो के बदले
हाथो मे कैंडल थमा गया!
वह अधर्मी लंकापति रावण था
जो नारी सम्मान सिखा गया
भारत धरा को दुर्योधन हुआ
जो भ्रातृजाया चीर हरन हुआ
यह कृष्ण भुमि यह राम भुमि है
जहाँ नारी सम्मान महासंघर्ष हुआ
यह कौन आया, यह कौन आया
जो मौन रहना सिखा गया
खुन खोलती तलवारो के बदले
हाथो मे कैंडल थमा गया l
कवि एन आर ओमप्रकाश "अथक" l