सभी दोस्तों मित्रों साथियों को ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ का नमस्कार....
दोस्तों आज जानते हैं चारों धामों के विषय में कुछ विशेष जानकारी अपने दोस्त मित्र साथी ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ के साथ....
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चारधाम
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चारधाम की स्थापना आद्य शंकराचार्य ने की। उद्देश्य था उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम चार दिशाओं में स्थित इन धामों की यात्रा कर मनुष्य भारत की सांस्कृतिक विरासत को जाने-समझें।
1. बदरीनाथ धाम
कहां है- उत्तर दिशा में हिमालय पर अलकनंदा नदी के पास
प्रतिमा- विष्णु की शालिग्राम शिला से बनी चतुर्भुज मूर्ति। इसके आसपास बाईं ओर उद्धवजी तथा दाईं ओर कुबेर की प्रतिमा।
2. द्वारका धाम
कहां है- पश्चिम दिशा में गुजरात के जामनगर के पास समुद्र तट पर।
प्रतिमा- भगवान श्रीकृष्ण।
3. रामेश्वरम
कहां है- दक्षिण दिशा में तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के बीच रामेश्वर द्वीप।
प्रतिमा- शिवलिंग
4. जगन्नाथपुरी
कहां है- पूर्व दिशा में उड़ीसा राज्य के पुरी में।
प्रतिमा- विष्णु की नीलमाधव प्रतिमा जो जगन्नाथ कहलाती है। सुभद्रा और बलभद्र की प्रतिमाएं भी। मन को मोह लेने वाली हैं...
एक छोटी सी पंक्ति.... तीर्थ चारो व्यर्थ समान.... जब घर 🏡 में नहीं मात-पिता सम्मान.... जगत प्रभु से तभी पाने की इच्छा रखो जब अपने घर के भगवान को खुश रखो....चारों धामो से जो यश प्राप्त होता है वही माता-पिता की सेवा से भी यश प्राप्त होता है...
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़