किसी ने सच ही कहा है कि, ये दुनियाँ तभी आपकी इज़्ज़त करेगी जब आप ख़ुद अपनी इज़्ज़त करेंगे। आपको कभी भी किसी भी स्थिति में अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए। आत्मसम्मान और घमंड में बहुत बारीक सा फ़र्क होता है, हम किसी का इज़्ज़त तब तक करते है जब तक कि वो हमारी इज़्ज़त का ध्यान रखता है ये हमारे आत्मसम्मान की बात है वहीं दूसरी तरफ़ हम सामने वाले व्यक्ति के प्रेमपूर्वक व्यवहार का जवाब भी क्रूरता से देते है तो ये हमारा अभिवृत्ति होता है। हम सभी को अपने भीतर आत्मसम्मान को पैदा करना चाहिए क्योंकि ये हमारी आगे बढ़ने में मदद करता है जबकि घमंड हमेशा हमे गर्त की ओर ले जाता है।