ईस दूनीया मैं *दू:ख* किसे नहीं है ?
और
ईस दूनीया मैं *सुख* भी किसे नहीं है ?
अगर
*दू:ख* ना हो तो *सुख* का पता ही नहीं चलता ।
इसलिए जो *दू:ख* को अपनाते हैं
वहीं *सुख* को समझ पाते हैं।
*भवतू सब्ब मंगलम*
*सुबह का वंदन स्विकार करे*
शुभ प्रभात जय श्री राधा माधव आपका दीन मंगलमय रहे।