English Quote in Shayri by Abhishek Sharma - Instant ABS

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शीर्षक - कागज और कलम

एक बार एक कागज ने कलम पर मानहानि का मुकदमा ठोक दिया,

तो कलम ने पूछा कागज से क्या खता की मैंने कि "आपने मुझ पर यह आरोप दिया"।

तब कागज भन्नाया और हाले दिल कलम को सुनाया,

बोला - "बिन अपनी मर्जी के तुम कुछ भी मुझ पर लिखती हो, किसने तुम्हें यह अधिकार दिया?"।

तुम्हारी स्याही से बने शब्दों को पढ़कर,
पाठक मुझे तरोड़ते - मसोड़ते है,

यहां तक कि कुछ ने तो मुझे फाड़ कर भी फेंक दिया।

आप बीती सुना कागज भावुक हो उठा,
बोला -
अब यह जंग जारी रहेगी,
या तो इस दुनिया में कागज रहेगा,
या फिर कलम रहेगी।
मेरी प्रतिष्ठा बचाने की यह मेरी पहल है,
पाठक और लेखक को भी तो,
मैंने वार्तालाप का साधन है दिया।

सुन बात कागज की कलम ने भी अपने दिल का दर्द बांटना शुरू किया।

बोली - पृष्ठ महाशय।
मुझसे लिखकर लेख तुम पर,
लेखक भी मुझ पर अपना क्रोध उतार जाते हैं,
लेकिन अपने दर्द के लिए हमने कभी आपको गुनहगार का तमगा नहीं दिया।

सहा मैंने भी तुम्हारे कारण कम नहीं,
याद है मुझे जब लेखक ने लेख में त्रुटि कर,
मेरी नौंक तक को तोड़ा और मुझे कूड़े में फेंक दिया।

भला दिल के पास रखकर भी कोई,
किसी से ऐसा बर्ताव करता है।
जो बताओ - "जिन लेखकों और पाठकों के मैं काम आयी, उन्होंने मुझसे ही ऐसा अभद्र व्यवहार किया"।


किन्तु, मैंने कभी ना तुमसे और ना ही लेखकों व पाठकों से इस बात की शिकायत की,
ना कोई शिक्वा किया।

कलम बोली - पृष्ठ महाशय।
तुम्हारा दर्द में समझती हूं, किन्तु तुमने मेरे दर्द को बिन जाने ही मुझपर ही मुकदमा ठोक दिया।

दरअसल। बात ना मेरी ना तुम्हारी है,
हम दोनों ही वफादार और कर्मठ हैं।
यह तो लेखक और पाठकों को समझना है
जिन्होंने हमें इस्तेमाल किया
और कई बार हम पर ही
अपनी गलतियों का गुस्सा निकाल दिया।

मैं कहती हूं लखकों और पाठकों से
कि, हमारी ईमानदारी और वफादारी का आपने हमें यह सिला दिया।

कलम की बात सुन, कागज शर्मिंदा हो गया
और उसने कलम पर लगाया मानहानि का मुकदमा वापिस लिया।

English Shayri by Abhishek Sharma - Instant ABS : 111269417
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