बहुत समय से तो मै यहां वहा भटक रही थी ,ना जाने कौन सी मंज़िल के पीछे थी । अब जाकर दिल को चैन और ज़िन्दगी को एक सही दिशा मिली है । दिक्कतें बहुत थी , राह आसान नहीं थी । अपने सपनों कि मंज़िल से अभी मैं कोसो दूर थी। पर दिल में एक आग थी कुछ कर गुजरने की , भीड़ से हटकर कुछ नया करने की । की हमारे मरने के बाद भी लोग हमको याद रखेंगे हमारे नाम से ना सही पर हमारे काम से ज़रूर याद रखेंगे ।