दिल तु संभल रहा हैं अब क्यों
बेहोशियां खिली हैं
अब तु
बाहों में ये करवटें
बांध ले
जरा ठहर के सुन जो में कहूं
नज़दीकियों में घुल के
अब तू
सांसों की आहटें थाम ले जान ले
पहचान ले जो हुआ हैं
सच हैं या हो रहा कोई गुमां हैं
कैसी हो रही तपिश
ये खलिश ये ख़ुमारी