कान्हा तेरी बासुरी पुकारे मुझे |
तेरी राधा सुनके बलखाये. |
चितवन मे चहेकके.. मुज अखियन मे बहेक के |
तू क्यू करता है बावली मुझको |
मेरा रोम रोम पिघलता है |
तेरी बासुरी मे है कई साज़.. |
जैसे दे रहे हो मुझको आवाज़.. |
तड़पता है मुझको तू |
नींद से जगाता है |
नींद आधी, बात आधी |
फिर तू क्यू हृदय मे अगन लगाके |
अनजाना बन जाता है |
तेरी राधा तड़पे मिलन की अगन मे |
तू देखके मुझको मरके के मुख मन मे |
ये तेरी कैसी रीत है?? "ओ कान्हा "
ये कैसी तेरी प्रीत है.. |
कान्हा तेरी बासुरी पुकारे मुझे.. ||