मेरे दिल का पंछी अब उड़ने लगा है , जो इतने सालो से बंद बिंजरे में दबा था वो अब मचलने लगा है । ना जाने कैसी यह हलचल है जो बंद थी किताब वो धीरे धीरे खुलने लगी है । जो अभी तक नहीं किया वो करने का मन करता है ना जाने क्यों खुद को अभी तक रोके रखा था । बंद किसी ताले में खुद को रोके रखा था , पर अब नहीं ज़िन्दगी इतनी खूसूरत है उसको दम भर के जी लेने दो कल पता नहीं हो की ना हो।