ज़िस्म की भूख जिसे प्यार कहे दुनिया सारी
मैं छोड़ आई दुनिया, सारी गलियाँ भी तुम्हारी।
दिल से दिल का रिश्ता न बना कोई
सपना जो मेरा टूटा तो जी भर के राई।
कोई न मिला जो प्यार करे सिर्फ मुझे
तन की प्यास गौड़ हो मन से मेरा होई।
जिसके अहसास दूरियों को पार कर जाएं
सोच में जो मैं रहूँ तो फ़ासले भी मिट जाएं।
धड़कनों को धड़कनों से राब्ता हमेशा रहे
न ज़िस्म की नुमाइश बस औ प्यार करे हर कोई।।