कोशिशें कर रहा ऐ दिल तुझे भुलाने की।
दर्द जो आँखों से छलके तो क्या खता है जमाने की।।
अधरों की प्यास जो बुझानी थी तेरे अधरों से
ए सपना जो टूटा तो जरूरत पड़ी बहाने की।।
संइयाँ हरजाई बेदर्दी तू सौदाई बना।
खून के आँसू मैं रोऊँ कोई ना दवाई बना।।
बिरह तो बिरह ही था कहर बनके गिरा मुझ पे।
मेरी इस तड़प का क्यूँ असर न हुआ तुझ पे।।
करवटें बदल बदल कर रात कट रही है मेरी।
तू गया किस गली खबर ना मिली है तेरी।।