पूछ न मुझसे मेरे साथी
क्यों जीवन आंसू से तर हैं
जितना दर्द उभरता बहार
उतना ही मनके भीतर हैं
हर बादल की अपनी मस्ती
हर मंजिल की अपनी बाधा
हर सपने का अपना सच हैं
हर पनघट की अपनी राधा
पूछ न मुझसे मेरे साथी
क्यों तन पर भारी पत्थर हैं
जितना शोर उमड़ता बहार
उतना ही मन के भीतर हैं#JK ❤️